@दिल्ली (वेब न्यूज़)//सीएनबी लाईव।।
राजधानी पुलिस ड्रग्स के धंधे के सबसे बड़े खुलासे में तस्करों तक वाट्सएप चैट के जरिए पहुंची है। इस मामले की जांच भी ठीक उसी तर्ज पर चल रही है, जो तरीका मुंबई के चर्चित रिया चक्रवर्ती ड्रग कनेक्शन में अपनाया गया था। पुलिस के पास इस केस से जुड़े 13 मोबाइल हैं। इनकी जांच में अब तक 40 नाम सामने आ चुके हैं, जिनमें से 10 पुलिस की गिरफ्त में हैं।
हालांकि मुख्य आरोपी अभिषेक शुक्ला के मोबाइल की चैट अभी पुलिस के पास नहीं है, क्योंकि उसने राजधानी के पैडलर श्रेयांस और विकास की गिरफ्तारी के बाद अपना ड्रग डीलिंग वाला मोबाइल फार्मेट कर दिया और फिर इसे तोड़कर प्रयागराज में नदी में फेंक दिया था। हालांकि ड्रग्स तस्करी की पुख्ता सूचना पर पुलिस ने अभिषेक को रायपुर में 27 सितंबर को ही घेर लिया था। तब वह पुलिस को चकमा देकर बिलासपुर रोड पर भाग निकला था। पुलिस उसके पीछे लगती और घेरेबंदी होती, उससे पहले ही वीआईपी रोड पर क्वींस क्लब में लाॅकडाउन पार्टी के दौरान फायरिंग हो गई। मामला गंभीर था, इसलिए शहर की पुलिस उसमें उलझ गई और अभिषेक भाग निकला। पैडलर के पकड़े जाने के बाद ही वह पुलिस के घेरे में आ सका, लेकिन फरारी के बाद। पुलिस के पास इस मामले से जुड़े फिलहाल आधा दर्जन मोबाइल हैं, जिनकी पुरानी चैट भी निकलवाई जा रही है। इनमें से कई चैट भास्कर को मिली हैं, जिसमें चॉकलेट, एमडी, माल और हैश जैसे कोडवर्ड में ड्रग खरीदने और सप्लाई का उल्लेख है। आरोपी ड्रग्स का कारोबार इंटरनेट कॉलिंग और वाट्सएप चैट के जरिए ही कर रहे थे, ताकि उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सके। सीएसपी कोतवाली डीसी पटेल ने बताया कि उनकी टीम एक-एक मोबाइल की जांच कर रही है। जल्द ही इसमें कुछ और लोग पकड़ जाएंगे।
भिलाई का पैडलर फंसा : पुलिस ने दो दिन पहले दुर्ग में एक ड्रग एडिक्ट सोनू सरदार उर्फ पृथ्वी सिंह को पकड़ा था। उसके पास से 3 ग्राम ड्रग मिला था। इधर, रायपुर पुलिस ने भिलाई से एक युवक को देर रात हिरासत में लिया है।
नशीले धंधे की छोटी-बड़ी मछलियां, कौन कितने पानी में
अभिषेक शुक्ला उर्फ डेविड - अभिषेक शुक्ला राजधानी की यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई कर रहा है। उसके पिता देहरादून में प्रोफेसर हैं और भाई इंजीनियर है। वह भाजपा से जुड़ा हुआ है और खुद को पूर्व मंत्री का करीबी बताता है। सोशल मीडिया में नेता से लेकर अफसर तक के साथ उसने तस्वीरें डाल रखी हैं।
मिन्हाज मेमन उर्फ हनी - मिन्हाज ने भी मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उसके परिवार का बिलासपुर में बेकरी का कारोबार है। तेलीबांधा में भी एक होटल संचालन में उसकी भूमिका की चर्चा है। वह 2018 में पुणे गया था, तब वह एक माफिया से मिला था।
लक्ष्मण गाइन- लक्ष्मण जीआरपी में सिपाही है। जब बिलासपुर में उसकी पोस्टिंग थी, तब उसकी मुलाकात अभिषेक से हुई थी। लक्ष्मण अभी बालोद में है। पुलिस की जांच में पता चला कि वह एक तो खुद भी ऐसे नशे का आदी है, और दूसरा यह कि उसने अभिषेक को फंडिंग भी की है।
एलेन सोरन- गोवा में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है और वहीं के एक होटल में उसकी जाॅब भी है। जाॅब के दौरान उसकी कई नाइजीरियन और तस्करों से दोस्ती हो गई। उसी ने अभिषेक को नाइजीरियन गिरोह से मिलाया था।
रोहित आहूजा- रोहित का बिलासपुर में छोटा कारोबार है। वह ड्रग्स लेकर रायपुर आता था। उसे एक पार्सल छोड़ने के लिए 1000 रुपए मिलते थे। वह भिलाई के अलावा कई शहरो में पार्सल छोड़ने जा चुका हैं।
राकेश अरोरा- राकेश भी डिलीवरी बॉय का काम करता था। उसने अभिषेक से ब्याज में पैसा लिया था। ब्याज लेने के बदले राकेश को पार्सल छोड़ने के लिए दबाव बनाया जाता था।
अब्दुल अजीम उर्फ सद्दाम- सद्दाम अभिषेक के साथ कई बार पुणे और गोवा ड्रग्स खरीदने गया था। बाद में सद्दाम रोहित को लेकर खुद ड्रग्स के लिए जाने लगा। इसके लिए उसे मोटा कमीशन मिलता था।
ड्रग डील के लिए पुलिस ने ही बुलाया था अभिषेक को:
दैनिक भास्कर की पड़ताल के मुताबिक राजधानी पुलिस ने 27 सितंबर को पुलिस ने अभिषेक के लिए विधानसभा और धनेली के बीच तगड़ी घेराबंदी की थी। उसे पुलिस के ही एक प्वाइंटर ने रायपुर में ड्रग की डील के लिए बुलाया था। वह पुलिस से घिर भी गया था, लेकिन अचानक पुलिस की एक गाड़ी को ठोकर मारकर वह भाग निकला। पुलिस उसके पीछे लगी, लेकिन एक-दो मिनट के भीतर ही वायरलेस सैट पर क्वींस क्लब में फायरिंग की सूचना और तमाम अफसरों को वीआईपी रोड पर पहुंचने के निर्देश की वजह से पुलिस उलझ गई। लेकिन उसके बाद से अभिषेक पर पुलिस की नजर थी।
इस घटना के तीसरे दिन, यानी 29 सितंबर को रायपुर के पैडलर श्रेयांस और विकास पुलिस के हत्थे चढ़ गए। उनके मोबाइल पर चैट मिलने के बाद पुलिस ने बिलासपुर में अभिषेक पर घेरा डाला, लेकिन तब तक वह भागकर प्रयागराज जा चुका था और अपने रिश्तेदार के यहां रुका हुआ था। परिजनों की मदद से पुलिस उस तक पहुंच पाई। लेकिन तब तक वह अपने उस मोबाइल को नष्ट कर चुका था, जिससे पूरा डील हुआ। हालांकि अफसरों ने कहा कि नंबर और मेल आईडी के आधार पर पूरा ब्योरा ले लिया जाएगा।