दास नवमीं विशेष...

दास नवमीं विशेष...

28th February special...

दास नवमीं ... आखिर क्यों म..... 

°श्री समर्थ स्वामी रामदास जी°

श्री समर्थ स्वामी रामदास की जयंती के रूप में जाना जाता है दास नवमीं को,  पर क्या आप जानते हैं कौन हैं समर्थ स्वामी रामदास जी!?!

आईए जानते हैं...


समर्थ स्वामी रामदास जी 1606 - 1682 के मध्य महाराष्ट्र के एक संत थे,  उन्होने ही दासबोध नामक ग्रंथ की रचना की  है,,,  यद्यपि यह ग्रंथ उन्होने महाराष्ट्र का मूल निवासी होनें के कारण मराठी भाषा में लिखा है।
रामदास जी को छत्रपति शिवाजी का गुरू भी माना जाता है।

रामदास जी का बचपन 

इनका असली नाम नारायण सुर्याजीपंत कुलकर्णी  था, इनका जन्म महाराष्ट्र के ही जालना जिले के जांब नाम के एक जगह में रामनवमी के दिन एक ब्राम्हण परिवार हुआ था । उनके पिता जी सुर्याजी पंत तथा माता राणुबाई थी।

स्वामी जी के कुछ विशेष कार्य...


• रामदास जी प्रतिदिन 1200 बार सुर्य नमस्कार करते थे,
• वे एक कुशल संगीतकार भी थे,
• रामदास जी नें अपनें शिष्यों के साथ मिलकर चैतन्यदायी संघठन स्थापित किया था,
• काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक इन्होंने 1100 मठों तथा अखाडो़ं की स्थापना की,
• रामदास जी नें 350 वर्ष पहले वेणा स्वामी जो की एक विधवा महिला थीं, उन्हें मठाधीश बना कर कीर्तन का अधिकार दिया,
• रामदास जी का प्रभाव लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर, डाॅ. केशव बलिराम हेडगेवार जैसे महान नेताओं पर भी रहा है।


अंतिम समय...


रामदास जी नें अपनें जीवन का अंतिम समय सतारा के पास एक किले में बिताया, अंतिम 5 दिन उन्होने वहीं उपवास रख कर सन् 1682 में ब्रम्हलीन हो गए ।
इस किले का नाम सज्जनगढ़ पडा़, यह अभी भी कार्यशील  है, यहाँ प्रतिवर्ष 2 से 3 लाख भक्त दर्शन करने आते हैं।

°रामदास जी की समाधि°